Monday, September 17, 2018
Wednesday, September 12, 2018
Saturday, September 8, 2018
Friday, September 7, 2018
Wednesday, September 5, 2018
वसुधा
मैं पृथ्वी हूँ
मैं ही आकाश
मैं ही धरती हूँ
आग लगा कर
जल से बुझाने वाली
मैं ही हूँ
मनुष्यों के नए नए
अविष्कारों से परेशान
अपने मतलब के लिए
इस्तेमाल करने वालों से
मैं दुखी यहां रो रही हूँ
ये मेरे ही आँसू
बाड़ का रूप ले रहे हैं
इन्हें ज़िन्दगी देने वाली
और लेने वाली भी मैं
पर फिर भी इनकी नज़रों में
बुरी हूँ मैं
है एक शर्त इस बार मेरी
गर ये लौटा दे मुझे मेरी पहचान
तो इनकी धड़कने बक्श दूँ मैं...
~Auldrin
आजकल का नया दौर
आज कल के ज़माने में
ये नया बदलाव कैसा
एक ओर हमारी माएं अपने
बहादुरी के किस्से सुनाती हैं
और दूसरी तरफ से वें हमें
घर बैठे बैठे खुद को बचाने
की तरकीबें समझाती हैं
खुद वें अपने जुड़ो-कराटे
सीखने की कहानियां बताती हैं
मगर हमें सिर्फ कपड़ो की
लंबाई का ज्ञान देती रहती हैं
क्या हाल किया था उन्होंने
उस लड़के का जिसने एक नज़र
बस उन्हें देख लिया था
पर हमें वैसे ही लड़कों से
छुपकर चलने को कहती हैं
आज कल के ज़माने में
ये नया बदलाव कैसा
जहां माएं हमें हिम्मत ना देकर
डर डरके जीना सिखा रहीं हैं...
~Auldrin
ये नया बदलाव कैसा
एक ओर हमारी माएं अपने
बहादुरी के किस्से सुनाती हैं
और दूसरी तरफ से वें हमें
घर बैठे बैठे खुद को बचाने
की तरकीबें समझाती हैं
खुद वें अपने जुड़ो-कराटे
सीखने की कहानियां बताती हैं
मगर हमें सिर्फ कपड़ो की
लंबाई का ज्ञान देती रहती हैं
क्या हाल किया था उन्होंने
उस लड़के का जिसने एक नज़र
बस उन्हें देख लिया था
पर हमें वैसे ही लड़कों से
छुपकर चलने को कहती हैं
आज कल के ज़माने में
ये नया बदलाव कैसा
जहां माएं हमें हिम्मत ना देकर
डर डरके जीना सिखा रहीं हैं...
~Auldrin
Subscribe to:
Posts (Atom)
Notice
Running busy work wise doesn't allow much time for the handling of the blog. Hope to see you guys soon but till then you can always re...
-
This story goes back to the year 2010, in the month of february when I was in eleventh standard. Every weekend I used to go to south exte...